Life without true knowledge is more than a prison of dark cell and Jupiter is giver of Light
Guru Dev-True preceptor that enlightens the path of life midst of the deadliest whirlpool of Maya,
The spiritual leader-True guide that highlights the truth of spirituality at the core base of the heart,
Spiritual preceptor of gods in the sky-Preceptor that makes it easy to perceive even the imperceptible truth even to gods
True master-The limit of truth that helps beyond bounties of specie and makes it work for
True teacher-The teacher that teaches unto the truth of both worlds within self to graduate self to interface the truth at all levels,
True guide-the one who moves along and teaches there and then
True philosopher-the one that indicates the hidden light within self and subjective truth
Jupiter- one of the most powerful planets on the sphere of astrology, Just one planet with the power of trine{1-5-9} truth, give numerous rise to life all alone throughout the life till one breathes last, part of Adhi-Yoga, Sunapha, Anapha leads one to a favorable truth, Relation between the Moon and Jupiter write the fate favorable, Jupiter balance the truth of success, inter-house exchange of Jupiter indicate wisdom all the way
Jupiter- a giant planet, a masculine one which keeps spirit at high on many spheres of life in its transit tenure and Vimsottary,
Vision and visibility is the subject of light but true knowledge is more than any light on the planet and Jupiter is giver of Light
Jupiter-being conversant with all types of law, either its cosmic truth or social means or eternal or universal laws, the law of nature or the rules of karma-it rules from the front runner and effect could be visualized in legal service and litigations,
It is known to every one that the basic source of light and energy on the universe is none other than the Sun, there is No doubt about it; it is very true in all respect. But one can not have the blessing of the sun all the time in its direct mode, at night it comes the moon to rescue the life from the dark.
Jupiter-being the light of knowledge inspires life but with an intermittent pace that interacts with truth at its foremost
Sun reflects light unto life in direct mode in day time alone, the caring moon reflects the light unto life in direct mode at night to make one feel comfort and peace the way at its best, is a subject of realization.
Jupiter-a Brahman like Venus but Venus is mild whereas Jupiter is tough
But where soul is blended in with five strong elements in a very fine mode of life and it is deep in dark ton inside then how one can visualize the truth of self and it impacts unto life; Tough nothing is impossible in life but to understand the subject it needs a light apart from Sun and the Moon and Jupiter is Giver of
Jupiter-the giver of wealth but at a cost, an indicator of moral but-comforts of nature if-benefic by nature yet, giver of age but,
Darkness inside inflict fear and doubts in life, which cause hassle to interact with self at its right pace, of sure we are here for a short stay on the subject of life on this planet is bare fact, but heart mislead self to accept it under the shadow of dark. Mind wish to elaborate but shadow over heart looms large to cover the truth unto self that cause undue fear and doubts while to carry on with in life which needs light to rescue self from and blessings of Jupiter is the path to reach at
Jupiter-last quarter in Vimsottery hardly let inhabitants in the comfort zone, in transit mode varying colors, manifest with teachings for spirit
Indeed everyone needs a light to visualize self in the mirror of truth and Jupiter is the help unto subject
Jupiter-crowded one with material riches if not afflicted but in both cases support Saturn for being lone in the midst of the crowd
Wisdom of knowledge is a must subject for human and Jupiter is the help unto subject,
Jupiter- the path of spiritual progress but, gently clean and state forward but, considered the most endowed with rectitude,
Truth of soul and the God is the subject of true knowledge and Jupiter is the help unto subject
Jupiter-planet indicating prosperity to Pisces, most benefic to cancer, and benefic to Scorpio and Aries, Keep different views for Taurus, Gemini, Virgo, Libra, Capricorn, and Aquarius---indeed It truly and respectful deals with Leo, it may appear low but it ensures benefit all the way,
To perceive the truth at its right pace and true pitch one needs wisdom of light that is true knowledge and Jupiter is giver of
O Lord Jupiter-O god of gentle clean and fair conduct, you are imbued with most becoming actions, the light of the shining qualities, a great help to work of public utility or mass conduct, the giver of moral values, the ultimate truth of observance of cosmic reality, the goal of all the greatness, such a lord may establish us in riches of all sorts,
when Jupiter transit through the zodiac sign of Aquarius- at this great occasion divine festival is celebrated known as KUMBH.
Holy dip in the holy celestial stream Sri Ganga ji makes one purify self for final beatitude.
Jupiter takes one year to cross a zodiac sign hence re-enter the Aquarius sign after 11 years .and this festival is not to miss at any cost.
ॐ भूर्भुवः स्वः तत् सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात्
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ॐ अंगीरा जाताय विदमहे वचस्पतिये धीमहे तन्नो गुरु प्रचोदयात
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पितर तृप्ति सभी सुखो का मूल है ब्रहस्पति चरण अभिषेक पितर तृप्ति का परम साधन है -पितर पूजा का विशेष दिन गुरुवार है जो गुरु देव कृपा का सार है -पितर पक्ष व् अमावस्या पूजा पितर तृप्ति हतु सिद्ध है
पितृदोष निवारण हेतु गुरु वार का दिन शुभ माना गया है
गुरुवार को गुरु बृहस्पति-भगवान की पूजा पाठ और केले के पेड की पूजा जातकॊ को मनवांछित वर प्राप्त करने और पुत्र के प्राप्त करने में अच्छा माना जाता है-पीपल की सेवा करने से दोषों का अन्त होता है मानसिक और शारीरिक विकार दूर होते है-गुरु ज्ञान है-ज्ञान के द्वारा सभी भ्रम दूर हो जाते है गुरु का प्रभाव
जातक के दिमाग और शरीर में लगातार चलता रहता है जातक के अन्दर आध्यात्मिक ताकत का उदय बृहस्पति-भगवान की पूजा से प्राप्त हो जाता है.
गुरु सदेव ही ज्ञान के सागर का सत्य होतां है
ज्ञान सभी अवस्थाओ की परम परकाष्ठा होती है
कर्म से ज्ञान, ज्ञान से भक्ति व् भक्ति से सत्य यह प्रकृति का नियम है
सत्य एक है तब पर भी उसके अनुभूति अनेक है साया
सत्य भाव से पर एक दिव्या तत्व है तब पर भी उसकी संज्ञा भाव में ही निहित है
सत्य ईश्वर है पर वह भक्त के मार्ग पर ही निहित है
ईश्वर सत्य है पर वह भक्त के प्रेम अधीन प्रगट होता है
धर्म सत्य का मार्ग है और आत्मा के प्रकाश की सीमा भी
गुरु व् धर्म एक ही वास्तु के दो प्रारूप है
गुरु कृपा व् साधू संग जीव का कल्याण सुनिस्चित करता है
यद्धपि कर्म की गति भिन्न है तब पर भी कर्म की सत्ता है
दुष्कर्म का फल सत्य की हानि
सत्कर्म का फल सत्य का प्रकाश
कर्म का फल व् समय भेद स्वयं में एक पहेली है
कर्म का फल कब व् कैसे व् कहा मिलेगा यह कठिन प्रश्न है
कर्म का फल किस रूप में मिलेगा यह भी भेद का विषय है
जीव कर्म करने में स्वतंत्र है पर एक परिधि के भीतर
दुष्कर्म दुख को जन्म देता है
सत्कर्म सुख के प्रकाशक है
देव गुरु बृहस्पताचार्य अमर तत्व के दाता है
अमर तत्व जीव को मृत्यु भय से मुक्त करता है
आत्मा स्वयं में अमर है तब पर भी यह देह धारण कर भय ग्रस्त हो जाती है
जीव माया व् ब्रह्मा के ज्ञान से ही जीवात्मा मृत्यु के भय से मुक्त हो सकती है
यह दिव्य ज्ञान गुरु देव बृहस्पताचार्य की कृपा से जीव सहज ही प्राप्त कर सकता है
अमर तत्व धारी जीवात्मा स्वर्ग की अधिकारी होती है
अमर तत्व प्राप्ति हेतु सर्व प्रथम बाहर व् भीतर शुद्धि परम आवश्यक है
दोनों ही स्थिति में सत कर्म व् विशुद्ध मन गति सहायक है
सत्य में परिपूर्ण विश्वास व् भागवत कर्म के प्रति निष्ठां अति सहायक है
पुनर्जन्म एक सत्य है और गुरु बृहस्पताचार्य इस सत्य पर परिपूर्ण प्रकाश डालते है
अधम कर्म जीव को कठिन योनि का दर्शन देते है
दुष्कर्म जीव को जड़ योनि प्रदान करते है
सत कर्म जीव को देव योनि की और प्रेरित करती है
पुनः मनुष्य जीवन पाना सहज संभव नहीं पर स्नान दान व् सत्य का मान इस कठिन मार्ग को खोलता है
साधु सेवा व् सत कर्म व् निष्काम सेवा भाव भी पुनः मनुष्य योनि प्रदाता है
अभिमानी जड़ योनि को प्राप होता है
दयामय व् करुणामय आचरण वाला मनुष्य, मनुष्य योनि का अधिकारी होता है
देह त्याग व् देह धारण के मध्य का काल सत्कर्मी जीव चन्द्रलोक में व्यतीत करते है
व् दुष्कर्मी यह काल विपरीत परिश्थिति में पाताल लोक के गहन अंधकार में व्यतीत करते है जहा विकृत मन की गत सदेव घेरे रहती है
ब्रह्मतत्व जीव के कल्याण का परम सूत्र है और श्री गुरु देव ब्रह्मतत्व के संचालक है
ब्रह्मतत्व के तत्वाधान में ही आत्मा स्वयं की अनुभूति प्राप्त करती है
ब्रह्मतत्व ही तत्वदर्शी पथ है
ब्रह्माण्ड की सर्वोत्तम संपत्ति मात्र ब्रह्मतत्व है
ब्रह्म बल सभी बलो में सर्वश्रेस्ट माना गया है
भगवन गुरुदेव स्वयं में एक श्रेस्ट ब्राह्मण है जो ब्रह्मतत्व के परम ज्ञाता है
ब्रह्मबल अहंकार और मद के मंद होने पर ही प्रगट होता है
गुरु देव भगवन बृहस्पताचार्य अहंकार और मद के नाशक है
चेतना मानव जीवन का आधार है और भगवान गुरु देव जीव के चेतन तत्व के प्रकाशक
जीवन में माया मोह इत्यादि की रचना ही जीव को राग द्धेष व् विकृत स्थिति की और ले जाती है पर चैतन्य जीव जाग्रत अवस्था को प्राप्त कर संसार के राग से सर्वदा मुक्त रहता है
जीवन सुख व् दुःख के दो किनारो के मध्य बहती धारा के सामान है चैतन्य जीव दोनों से बच कर आगे बढ़ते है
विशुद्ध ज्ञान ही चेतना का परम आधार माना गया है और गुरु देव दाता
चैतन्य प्राणी ही ब्रह्मतत्व व् अमरपद को प्राप्त कर सकता है
चेतना ही वस्तुतः सात चिट और आनंद का मार्ग प्रशस्त करती है
चेतना ही जीव को ब्राह्मण वैश्य व् छत्रिय पद की गरिमा से ऊपर ले जाती है
चेतना ही जीव को ब्रह्मा जीव व् माया के सत्य को दर्शाती है'
चेतना ही आकाश पाताल व् धरा के मूल बंद को खोलने का कार्य करती है
चेतना ही अर्थ धर्म व् काम के सत्य को प्रकाशित करती है
चेतना ही देव मानव व् असुर के सत्य का भेदन करती है
चेतना ही सत रज तम के भव से पर हेतु परम साधन है
कर्म गुण स्वभाव से मुक्ति का साधन भी चेतना है
मृत्यु लोक में असंख्य बाधाये जीव को घेरती है मृत्यु शोक संपत्ति नाश विरह देह आदि पीड़ा जीविका का आश्रय टूट जाना अपमान शत्रु भय दरिद्रता व् भविष्य की आशंका और यह सब जीव के मूल सत्य को प्रवित करती है पर चेतना को प्राप्त जीव सहज ही इन सभी उन्मादों से बाहर आ जाता है श्री गुरु कृपा से
गुरु काल जीवन में आत्म कल्याण का पथ माना जाता है यहाँ कठिनता ही सुगमता को रूप देती है
भीतरी प्रेरणा व् अंतः करण की शुद्धि हेतु यह वरदान सिद्ध होता है
जीव यहाँ आत्म बल को प्रात करता है जो परम चेतना हेतु एक सत्य है
सन्मार्ग पर चलने वाला जीव सदा ही गुरु कृपा का पात्र होता है
दीन हीन पर दया भाव रखने वाला जीव सदा ही गुरु कृपा का पात्र होता है
सत्य का मान करने वाला जीव सदा ही गुरु कृपा का पात्र होता है
सभी का कल्याण चाहने वाला जीव सदा ही गुरु कृपा का पात्र होता है
सदाचारी जीव सदा ही गुरु कृपा का पात्र होता है
श्री श्री पितर देवाय नमः
श्री श्री गुरु देवाय नमः
ॐ भूर्भुवः स्वः तत् सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात्
ॐ अंगीरा जाताय विदमहे वचस्पतिये धीमहे तन्नो गुरु प्रचोदयात