ॐ परमात्मने नमः

 ॐ श्री गणेशाय नमः


भगवान् श्री गुरु देव की जय


ॐ ग्रां ग्रीं ग्रौं स: गुरुवे नम:

Jupiter,

Guru Dev-True preceptor that enlighten the path of life midst of deadliest whirlpool of Maya,

Spiritual leader-True guide that highlight the truth of spirituality at the core base of heart,

Spiritual preceptor of gods in the sky-Preceptor that makes it east to perceive even the imperceptible truth even to gods

True master-The limit of truth that helps beyond bounties of specie and makes it work for

True teacher-The teacher that teaches unto truth of both world within self to graduate self to interface the truth at all levels,

True guide-the one one moves along and teaches there and then

True philosopher-the one that indicate the hidden light within self and subjective truth


Jupiter

 

 A Saint     A Sage    A Satguru   A Brahman

Thursday, August 23, 2007

knowledge as a light







नागेन्द्रहाराय त्रिलोचनाय
भस्माङ्गरागाय महेश्वराय
नित्याय शुद्धाय दिगम्बराय
तस्मै न काराय नम: शिवाय


मन्दाकिनीसलिलचन्दनचर्चिताय
नन्दीश्वर प्रमथनाथ महेश्वराय
मन्दारपुष्पबहुपुष्पसुपूजिताय
तस्मै म काराय नम: शिवाय


शिवाय गौरीवदनाब्जवृन्द-
सूर्याय दक्षाध्वरनाशकाय
श्रीनीलकण्ठाय वृषध्वजाय
तस्मै शि काराय नम: शिवाय


वसिष्ठकुम्भोद्भवगौतमार्य-
मुनीन्द्रदेवार्चितशेखराय
चन्द्रार्कवैश्वानरलोचनाय
तस्मै व काराय नम: शिवाय


यक्षस्वरूपाय जटाधराय
पिनाकहस्ताय सनातनाय
दिव्याय देवाय दिगम्बराय
तस्मै य काराय नम: शिवाय






ॐ ग्रा ग्री ग्रो स: गुरुवे नम

ब्रह्मा के मानस पुत्र  अंगिरा के पुत्र अंगिरस ने शिव चरणो के निमित गहन तप किया व् शिव कृपा से देव गुरु बृहस्पताचार्य का पद पाया व् एक अति विशेष  ग्रह  का स्वामित्व पाया -जो बृहस्पति ग्रह के नाम से जाना गया  

श्री श्री वचस्पतिये नमः
गुरुवे नम

इस ग्रह  का भूतल पर विशेष प्रभाव है यहाँ की भौगोलिक स्थिति व् भीतिरि सत्य इस प्रमा गृह से सर्वदा प्रभावित  रहता है 
इस ग्रह का जीव व् माया पर परिपूर्ण प्रभाव प्रकाशित है 
इस ग्रह का संबंध जीव से विशेष रूप से रहता है जीव हेतु यह सदा ही शिक्षक का कार्य करता है 

गुरुवार को गुरु बृहस्पति-भगवान की पूजा पाठ और केले के पेड की पूजा जातकॊ को मनवांछित वर प्राप्त करने और पुत्र के प्राप्त करने में अच्छा माना जाता है-पीपल की सेवा करने  से दोषों का अन्त होता है  मानसिक और शारीरिक विकार दूर होते है-गुरु ज्ञान है-ज्ञान के द्वारा सभी भ्रम दूर हो जाते है 

गुरु का प्रभाव जातक के दिमाग और शरीर में लगातार चलता रहता है जातक के अन्दर आध्यात्मिक ताकत का उदय बृहस्पति-भगवान की पूजा से प्राप्त हो जाता है.

संत
संत महात्माओ पर सदा ही गुरु देव की विशेष कृपा होती है
गुरु कृपा से ही संत महात्मा भागवत तत्व को सहजता से पा लेते है
गुरु कृपा से ही संत महात्मा अपने अनुयाइयो का सही मार्ग दर्शन करते है
संत महात्माओ का संग गुरु के संग के सामान ही होता है

सत्य
सत्य सर्वोपरि है
सत्य गुरु देव को अति प्रिये है
सत्य का मान करने वाले गुरु देव को अति प्रिये है
सत्यमय आचरण गुरु देव की कृपा का पात्र  है
ब्रह्मण वह है जो ब्रह्म की रूप रेखा से परिचित हो, जिसे ब्रह्म का परिपूर्ण ज्ञान हो-ब्रह्मण सदेव गुरु कृपा के पात्र है

जीवन व् परमात्मा

मोन, योग व् ध्यान से सहज ही परमात्मा का साक्षात्कार होता है

आत्मा का जो स्वरुप सत्यमय होकर निज स्वरुप में स्थित होता है वही सर्वशक्तिमान ईश्वर की संज्ञा को प्राप्त होता है

माया के वशीभूत ही जीव दीन गति को प्राप्त हो निज स्वरूओप से भिन्न हो जाता है वही जीव सत्कारं कर निज स्वर्रोप को पाकर पुन इश्त्व को प्राप्त होता जिसे मुक्ति भी कहा जाता है

इश्वर सत्य मार्गी को ज्ञान स्वरुप में प्रगट हो कर उसकी रक्षा करते है
परमात्मा सभी भूतो में निहित है सभी भूत परमात्मा में निहित है

माया जनित राग द्वेष मन के विकार है जो जीव को स्वयं से दूर ले जाकर माया का दास बने देते है सत्य का सामीप्य पाकर जीव पुन निज स्वर्रोप को प्राप्त होता है

राग द्वेष के बंधन में आत्मा शरीर त्याग कर भी मुक्त नहीं होती शुक्षम शरीर के कारण प्रेत या पितर योनी को प्राप्त हो पुन विविद क्रियाओं से गुजरती है जहा शांति व् परमानन्द सहज नहीं

परिपूर्ण मुक्ति हेतु स्थूल शरीर , सूक्षम शरीर व् कारण शरीर तीनो बन्धनों से मुक्ति परम आवश्यक है अन्यथा जन्म मृत्यु का चक्र भेदन संभव नहीं

मानव देह की रचना धर्म संस्थापन हेतु भगवान् श्री हरी विष्णु ने की और पुन पुन प्रगट हो कर सत्य का मार्ग प्रकाशित किया जो आत्मा की परिपूर्णता हेतु परम साधन है

सत्य के मार्ग पर पूजा स्मृति व् सुमिरन जीव की परिपूर्णता हेतु परम सहायक है

ब्रह्म स्वयं में परिपूर्ण सत्य है ज्ञान की परम सीमा व् अनंत रूप है जहा परमानन्द की प्राप्ति का परम मूल है

सत पुरुषो में साधू भाव
साधू भाव में ज्ञान
ज्ञान से भक्ति
भक्ति से समर्पण
समर्पण से मुक्ति साधन का भेद है 


कलि काल जीव को नरक की पीड़ा देने वाला उग्र काल है पर यहाँ जगत गुरु की उपासना से कलि पीड़ा का निवारण सहज ही हो जाता है जगत गुरु की उपासना से अनेक अश्मेघ यज्ञो का फल मिलता है गुरु देव की उपासना से भी जगत गुरु  की उपासना होती है

Message Of Sri Guru Dev
Be Brave and Adore the truth
Respect the dignity of truth 
Respect the saintly souls
Respect the self and its pristine relation with God
Never ride on the ego
Be brave to smile to accept the truth
Let righteousness be the flagship of life 
Let Justice rules the life

परोपकार ही धर्म  है
स्वाधीनता  ही धर्म का सूत्र है
दया धर्म का मूल है पाप मूल अभिमान
मनुष्य में देव तत्व का वास ही धर्म है
चरित्र निर्वान ही धर्म की परिपूर्ण विद्या है


संतोष से बड़ा धन नहीं व् सहनशीलता से बड़ा गुण नहीं


धर्म जीवन में परिपूर्ण ज्ञान की सीमा है जो जीव को मनुष्य बनता है व् मनुष्य को देवता

Jupiter and the cow_
Serving cows earn great favor from the legendary planet Jupiter

Jupiter and the ancient books_
Respect for ancient books and intellectual earn rewards from Jupiter

Jupiter and the prayer_
Engaged in regular mode of prayer at the conjunction of time earn rewards from the lotus feet of the lord

Jupiter and charity_
Performing charity for a true cause earns great rewards from Jupiter

Jupiter and the truth-
Those who adore truth earn great reward from the lotus feet of the lord

Jupiter and the Brahmans_
Serving Brahmans earn great rewards from Jupiter

Jupiter and the realization_
Those who perform deeds with realization unto self and truth in life earn great rewards from the lotus feet of the lord

Jupiter and the elders_
Helping aged and seniors earn great rewards from the lotus feet of the lord

Jupiter and the pilgrimage_
Jupiter helps those who take routes to religious places to evaluate the truth of self

Jupiter and the education_
Those who use skills to educate others in true spirit earn great rewards from the lotus feet of the lord

Jupiter and saints_
Those who respect saints truly earn great rewards from the lotus feet of the lord

Jupiter and the small living creature_
Those who keep heart for even the most diminutive living creature earn great reward from the lotus feet of the lord

Jupiter and the holy basil_
Those who worship holy basil earn great reward from the lotus feet of the lord

Jupiter and the pipul tree_
Those worship pipul trees make it to contain all departed souls and Sri pitar de- got blessings from the  lord

Jupiter and the banyan tree_
Those who keep heart for this religious chapter earn great reward from the lotus feet of the lord

Jupiter and the banana tree_
Those who regularly worship the banana tree with faith attain the grace of Lord Jupiter

Elephant and the Jupiter_
The elephant is taken as the carrier of
legendary planet Jupiter.

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गुरुवार को गुरु पुष्य नक्षत्र में बृहस्पति का महाभिषेक -इसके बाद विधिपूर्वक उनकी पूजा की जाती है इससे रोग, शोक, संताप, भय से मुक्ति मिलती है-जिससे ऋद्धि, सिद्धि की प्राप्ति होती है-कामनाओं की पूíत होती है
बृहस्पति पूजा सात्विक व् आद्यात्मिकता हेतु परम सिद्ध है-विवाह एंड व्यवसाय सफलता हतु परम शुभ है रोग दोष नाशक व् दरिद्रता नाशक परम बूटी है आत्मिक बल व् पुष्टिकरका है 

अंगीरा पुत्र अंगिरस ने शिव उपासना से परम सिद्ध नाम बृहस्पति पाया -जो स्वयं सिद्ध है

Thursday is the day of lord Jupiter.
Thursday is the day of saints
Thursday is the day of the departed soul
Thursday is the day of pitar pujan
Thursday is the day to get pardoned from the sick deeds of life

श्री श्री देवगुरु बृहस्पति देव
Jupiter alone is a powerful planet that can outbalance all others without any if and but.

Jupiter alone can pave the path for glorious life if placed well in the zodiac

Jupiter is the most important planet in the chapter on astrology

Jupiter is the most powerful planet on the cord of astrology

Jupiter is a great giver or donor

Jupiter is known for being a kind-hearted saint

ॐ  भूर्भुवः स्वः तत् सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात्
------------
ॐ अंगीरा जाताय विदमहे  वचस्पतिये धीमहे तन्नो गुरु प्रचोदयात

Life without true knowledge is more than a prison of dark cell and Jupiter is giver of Light 

 Guru Dev-True preceptor that enlightens the path of life midst of the deadliest whirlpool of Maya,


The spiritual leader-True guide that highlights the truth of spirituality at the core base of the heart,


Spiritual preceptor of gods in the sky-Preceptor that makes it easy to perceive even the imperceptible truth even to gods


True master-The limit of truth that helps beyond bounties of specie and makes it work for


True teacher-The teacher that teaches unto the truth of both worlds within self to graduate self to interface the truth at all levels,


True guide-the one who moves along and teaches there and then


True philosopher-the one that indicates the hidden light within self and subjective truth



Jupiter- one of the most powerful planets on the sphere of astrology, Just one planet with the power of trine{1-5-9} truth, give numerous rise to life all alone throughout the life till one breathes last, part of Adhi-Yoga, Sunapha, Anapha leads one to a favorable truth, Relation between the Moon and Jupiter write the fate favorable, Jupiter balance the truth of success, inter-house exchange of Jupiter indicate wisdom all the way

Vision and visibility is the subject of light but true knowledge is more than any light on the planet and Jupiter is giver of Light
Jupiter- a giant planet, a masculine one which keeps spirit at high on many spheres of life in its transit tenure and Vimsottary,

It is known to every one that the basic source of light and energy on the universe is none other than the Sun, there is No doubt about it; it is very true in all respect. But one can not have the blessing of the sun all the time in its direct mode, at night it comes the moon to rescue the life from the dark.
Jupiter-being conversant with all types of law, either its cosmic truth or social means or eternal or universal laws, the law of nature or the rules of karma-it rules from the front runner and effect could be visualized in legal service and litigations,

Sun reflects light unto life in direct mode in day time alone, the caring moon reflects the light unto life in direct mode at night to make one feel comfort and peace the way at its best, is a subject of realization.
Jupiter-being the light of knowledge inspires life but with an intermittent pace that interacts with truth at its foremost


But where soul is blended in with five strong elements in a very fine mode of life and it is deep in dark ton inside then how one can visualize the truth of self  and it impacts unto life; Tough nothing is impossible in life but to understand the subject it needs a light apart from Sun and the Moon and Jupiter is Giver of
Jupiter-a Brahman like Venus but Venus is mild whereas Jupiter is tough

Darkness inside inflict fear and doubts in life, which cause hassle to interact with self at its right pace, of sure we are here for a short stay on the subject of life on this planet is bare fact, but heart mislead self to accept it under the shadow of dark. Mind wish to elaborate but shadow over heart looms large to cover the truth unto self that cause undue fear and doubts while to carry on with in life which needs light to rescue self from and blessings of Jupiter is the path to reach at
Jupiter-the giver of wealth but at a cost, an indicator of moral but-comforts of nature if-benefic by nature yet, giver of age but,

Indeed everyone needs a light to visualize self in the mirror of truth and Jupiter is the help unto subject
Jupiter-last quarter in Vimsottery hardly let inhabitants in the comfort zone, in transit mode varying colors, manifest with teachings for spirit  

Wisdom of knowledge is a must subject for human and Jupiter is the help unto subject,
Jupiter-crowded one with material riches if not afflicted but in both cases support Saturn for being lone in the midst of the crowd

Truth of soul and the God is the subject of true knowledge and Jupiter is the help unto subject
Jupiter- the path of spiritual progress but, gently clean and state forward but, considered the most endowed with rectitude,

To perceive the truth at its right pace and true pitch one needs wisdom of light that is true knowledge and Jupiter is giver of
Jupiter-planet indicating prosperity to Pisces, most benefic to cancer, and benefic to Scorpio and Aries, Keep different views for Taurus, Gemini, Virgo, Libra, Capricorn, and Aquarius---indeed It truly and respectful deals with Leo, it may appear low but it ensures benefit all the way,



Jupiter Relates to_

Education at its foremost

Prosperity

Wealth and fame

Justice and public address

Spiritual master

Saintly wisdom

Religion

Religious places

Pilgrimages

Priest

Topaz

Yellow color

Yellow flowers

Turmeric

Books

Pipul

Age

Masculine

Maturity

Gram pulse

Cow

Brahma

Brahman

Own Sagittarius and pieces in the zodiac

Exalted in cancer

Friendly with Sun, moon, and mars

Enemy with Venus and mercury

Support Saturn

Exalted in zodiac sign cancer at 5 degrees sharp

Debilitation in Capricorn at 5 degrees sharp

Exalted Jupiter leads life from the forefront

Indicate fame

Respect

Truth

Literature

Gains

Long life

Strong build


Cause of Children

Jupiter indicates a fair complexion
Large Eyes
Masculine Look
Dignified stature
wide shoulder
Moderate height
Vraisemblance
Versatile
Flexible


Jupiter takes 12 months to cross a Zodiac Sign

It blesses life while passing through sign cancer

But put forth financial hardship while traveling through Capricorn

Distribute the nectar among saintly souls while transit through Aquarius, and bless the Earth when the sun gets exalted in this transit

Jupiter represents the sky among five basic elements that represent the body in life

Sky indicates ether

Sky indicates the wisdom of light

Sky indicates sound, sound current is the very cause of life on the planet

The sky represents spaces, regions

The sky is an essential module of beauty culture

The sky is the limit of all planets, stars, constellations, Sign

The sky is the limit of gods even,

Sky in self is limitless

Jupiter and moon at a square to each other is like a Raj yoga that Indicates_
Long life
Excessive wealth
Fame
Influential relations
Fair interactive skill
Head of an organization
Religious merits 
Meaningful relationship 
High profile links
Political will
Ruling skill 
Luxurious life
Truthful changeover 

The conjunction of Jupiter and Mars indicates, Prowess, wisdom, Good fortune, a lot of favors from life with varying colors,


Jupiter being the lord of Kendra houses proves very helpful in odd conditions of life in any span irrespective of any other factor.

In this scenario, if houses are not occupied by any malefic planet by nature, Jupiter attains all power to indicate a lot of favors for life

In addition to the above if house concerns are not sighted through any malefic planet adds to the pace of Jupiter for good

In the scenario of this yoga is some benefic planet that is friendly to Jupiter form some auspicious yoga making it a Raj yoga as simple as anything


O Lord Jupiter-O god of gentle clean and fair conduct, you are imbued with most becoming actions, the light of the shining qualities, a great help to work of public utility or mass conduct, the giver of moral values, the ultimate truth of observance of cosmic reality, the goal of all the greatness, such a lord may establish us in riches of all sorts,

Twelve rivers of India under the divine sight of Jupiter_

Sri Ganga ji 

Sri Yamuna ji

Sri Saraswati ji

Sri Satluj ji

Sri Narmada ji

Sri Godawari ji

Sri Kaveri ji

Sri Brahmaputra ji

Sri Krishna ji

Sri Mahanadi ji

Sri Sindhu ji

Sri Tapti ji

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Sri Guru Dev and Sri Ramayana Ji_
From sri sri Ayodhya kand
बचन सुनत सुरगुरु {बृहस्पति}मुसकाने
सहसनयन बिनु लोचन जाने
मायापति सेवक सन माया
करइ त उलटि परइ सुरराया
तब किछु कीन्ह राम रुख जानी
अब कुचालि करि होइहि हानी
सुनु सुरेस{Indra-Dev} रघुनाथ सुभाऊ
 निज अपराध रिसाहिं न काऊ
जो अपराधु भगत कर करई
 राम रोष पावक सो जरई


Kumbh and the Jupiter_
when Jupiter transit through the zodiac sign of Aquarius- at this great occasion divine festival is celebrated known as KUMBH.

Holy dip in the holy celestial stream Sri Ganga ji makes one purify self for final beatitude.

Jupiter takes one year to cross a zodiac sign hence re-enter the Aquarius sign after 11 years .and this festival is not to miss at any cost.
ॐ भूर्भुवः स्वः सिन्धुशोद्धव आडिगंरसगोत्र पीतवर्ण भी गुरो बृहस्पतये नमः


ॐ भूर्भुवः स्वः तत् सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात्

------------
ॐ अंगीरा जाताय विदमहे  वचस्पतिये धीमहे तन्नो गुरु प्रचोदयात 
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 पितर तृप्ति सभी सुखो का मूल है ब्रहस्पति चरण अभिषेक पितर तृप्ति का परम साधन है -पितर पूजा का विशेष दिन गुरुवार है जो गुरु देव कृपा का सार है -पितर पक्ष व् अमावस्या पूजा पितर तृप्ति हतु सिद्ध है 
पितृदोष निवारण हेतु गुरु वार का दिन शुभ  माना गया है 
गुरुवार को गुरु बृहस्पति-भगवान की पूजा पाठ और केले के पेड की पूजा जातकॊ को मनवांछित वर प्राप्त करने और पुत्र के प्राप्त करने में अच्छा माना जाता है-पीपल की सेवा करने  से दोषों का अन्त होता है  मानसिक और शारीरिक विकार दूर होते है-गुरु ज्ञान है-ज्ञान के द्वारा सभी भ्रम दूर हो जाते है गुरु का प्रभाव
जातक के दिमाग और शरीर में लगातार चलता रहता है जातक के अन्दर आध्यात्मिक ताकत का उदय बृहस्पति-भगवान की पूजा से प्राप्त हो जाता है.
गुरु सदेव ही ज्ञान के सागर का सत्य होतां है 
ज्ञान सभी अवस्थाओ की परम परकाष्ठा होती है 
कर्म से ज्ञान, ज्ञान से भक्ति व् भक्ति से सत्य यह प्रकृति का नियम है 
सत्य एक है तब पर भी उसके अनुभूति अनेक है साया 
सत्य भाव से पर एक दिव्या तत्व है तब पर भी उसकी संज्ञा भाव में ही निहित है 
सत्य ईश्वर है पर वह भक्त के मार्ग पर ही निहित है 
ईश्वर सत्य है पर वह भक्त के प्रेम अधीन प्रगट होता है 
धर्म सत्य का मार्ग है और आत्मा के प्रकाश की सीमा भी 
गुरु व् धर्म एक ही वास्तु के दो प्रारूप  है 
गुरु कृपा व् साधू संग जीव का कल्याण सुनिस्चित करता है 
यद्धपि कर्म की गति भिन्न है तब पर भी कर्म की सत्ता है 
दुष्कर्म का फल सत्य की हानि 
सत्कर्म का फल सत्य का प्रकाश 
कर्म का फल व् समय भेद स्वयं में एक पहेली है 
कर्म का फल कब व् कैसे व् कहा मिलेगा यह कठिन प्रश्न है 
कर्म का फल किस रूप में मिलेगा यह भी भेद का विषय है 
जीव कर्म करने में स्वतंत्र है पर एक परिधि के भीतर 
दुष्कर्म दुख को जन्म देता है 
सत्कर्म सुख के प्रकाशक है 

देव गुरु बृहस्पताचार्य अमर तत्व के दाता है 

अमर तत्व जीव को मृत्यु भय से मुक्त करता है 
आत्मा स्वयं में अमर है तब पर भी यह देह धारण कर भय ग्रस्त हो जाती है 
जीव माया व् ब्रह्मा के ज्ञान से ही जीवात्मा मृत्यु के भय से मुक्त हो सकती है 
यह दिव्य ज्ञान गुरु देव बृहस्पताचार्य की कृपा से जीव सहज ही प्राप्त कर सकता है 
अमर तत्व धारी जीवात्मा स्वर्ग की अधिकारी होती है 
अमर तत्व प्राप्ति हेतु सर्व प्रथम बाहर व् भीतर शुद्धि परम आवश्यक है 
दोनों ही स्थिति में सत  कर्म व् विशुद्ध मन गति सहायक है 
सत्य में परिपूर्ण विश्वास व् भागवत कर्म के प्रति निष्ठां अति सहायक है 


पुनर्जन्म एक सत्य है और गुरु बृहस्पताचार्य इस सत्य पर परिपूर्ण प्रकाश डालते है 

अधम कर्म जीव को कठिन योनि का दर्शन देते है 
दुष्कर्म जीव को जड़ योनि प्रदान करते है 
सत कर्म जीव को देव योनि की और प्रेरित करती है 
पुनः मनुष्य जीवन पाना सहज संभव नहीं पर स्नान दान व् सत्य का मान इस कठिन मार्ग को खोलता है 
साधु सेवा व् सत कर्म व् निष्काम सेवा भाव भी पुनः मनुष्य योनि प्रदाता है 
अभिमानी जड़ योनि को प्राप होता है 
दयामय व् करुणामय आचरण वाला मनुष्य, मनुष्य योनि का अधिकारी होता है 
देह त्याग व् देह धारण के मध्य का काल सत्कर्मी जीव चन्द्रलोक में व्यतीत करते है 
व् दुष्कर्मी यह काल विपरीत परिश्थिति में पाताल लोक के गहन अंधकार में व्यतीत करते है जहा विकृत मन की गत सदेव घेरे रहती है 

ब्रह्मतत्व जीव के कल्याण का परम सूत्र है और श्री गुरु देव ब्रह्मतत्व के संचालक  है 

ब्रह्मतत्व के तत्वाधान में ही आत्मा स्वयं की अनुभूति प्राप्त करती है 
ब्रह्मतत्व ही तत्वदर्शी पथ है 
ब्रह्माण्ड की सर्वोत्तम संपत्ति मात्र ब्रह्मतत्व है 
ब्रह्म बल सभी बलो में सर्वश्रेस्ट माना  गया है 
भगवन गुरुदेव स्वयं में एक श्रेस्ट ब्राह्मण है जो ब्रह्मतत्व के परम ज्ञाता है 
ब्रह्मबल अहंकार और मद के मंद होने पर ही प्रगट होता है 
गुरु देव भगवन बृहस्पताचार्य अहंकार और मद के नाशक है 

चेतना मानव जीवन का आधार है और भगवान गुरु देव जीव के चेतन तत्व के प्रकाशक 

जीवन में माया मोह इत्यादि की रचना ही जीव को राग द्धेष व् विकृत स्थिति की और ले जाती है पर चैतन्य जीव जाग्रत अवस्था को प्राप्त कर संसार के राग से सर्वदा मुक्त रहता है 
जीवन सुख व् दुःख के दो किनारो के मध्य बहती धारा के सामान है चैतन्य जीव दोनों से बच कर आगे बढ़ते है 
विशुद्ध ज्ञान ही चेतना का परम आधार माना गया है और गुरु देव दाता 
चैतन्य प्राणी ही ब्रह्मतत्व व् अमरपद को प्राप्त कर सकता है 
चेतना  ही वस्तुतः सात चिट और आनंद का मार्ग प्रशस्त करती है 
चेतना ही जीव को ब्राह्मण वैश्य व् छत्रिय पद की गरिमा से ऊपर ले जाती है 
चेतना ही जीव को ब्रह्मा जीव व् माया के सत्य को दर्शाती है'
चेतना ही आकाश पाताल व् धरा के मूल बंद को खोलने  का कार्य करती है 
चेतना ही अर्थ धर्म व् काम के सत्य को प्रकाशित करती है 
चेतना ही देव मानव व् असुर के सत्य का भेदन करती है 
चेतना ही सत  रज  तम  के भव  से पर हेतु परम साधन है 
कर्म गुण स्वभाव से मुक्ति का साधन भी चेतना है 


मृत्यु लोक में असंख्य बाधाये  जीव को घेरती है मृत्यु शोक संपत्ति नाश विरह देह आदि पीड़ा जीविका का आश्रय टूट जाना अपमान शत्रु भय दरिद्रता व् भविष्य की आशंका और यह सब जीव के मूल सत्य को प्रवित करती है पर चेतना को प्राप्त जीव सहज ही इन सभी उन्मादों से बाहर आ जाता है श्री गुरु कृपा से 


गुरु काल जीवन में आत्म कल्याण का पथ माना जाता है यहाँ कठिनता ही सुगमता को रूप देती है 

भीतरी प्रेरणा व् अंतः करण की शुद्धि हेतु यह वरदान सिद्ध होता है 
जीव यहाँ आत्म बल को प्रात करता है जो परम चेतना हेतु एक सत्य है 

सन्मार्ग पर चलने वाला जीव सदा ही गुरु कृपा का पात्र होता है 

दीन हीन  पर दया भाव रखने वाला जीव सदा ही गुरु कृपा का पात्र होता है 
सत्य का मान करने वाला जीव सदा ही गुरु कृपा का पात्र होता है
 सभी का कल्याण चाहने वाला जीव सदा ही गुरु कृपा का पात्र होता है
सदाचारी जीव सदा ही गुरु कृपा का पात्र होता है

बृहस्पति पूजा सात्विक व् आद्यात्मिकता हेतु परम सिद्ध है-विवाह एंड व्यवसाय सफलता हतु परम शुभ है रोग दोष नाशक व् दरिद्रता नाशक परम बूटी है आत्मिक बल व् पुष्टिकरका है 

अंगीरा पुत्र अंगिरस ने शिव उपासना से परम सिद्ध नाम बृहस्पति पाया -जो स्वयं सिद्ध है

पितृदोष निवारण हेतु गुरु वार का दिन शुभ  माना गया है

श्री श्री पितर देवाय नमः 
श्री श्री गुरु देवाय नमः



ॐ भूर्भुवः स्वः तत् सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात्
ॐ अंगीरा जाताय विदमहे  वचस्पतिये धीमहे तन्नो गुरु प्रचोदयात
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Puja of sri sri Guru Dev_lord Jupiter
ध्यान_ध्यानार्थेपुष्पं समर्पयामि

आसन-आसनानार्थेपुष्पाणिसमर्पयामि_आसन के लिए फूल चढाएं-
पाद्य -पादयो:पाद्यंसमर्पयामि

जल चढाएं

अ‌र्घ्य_ अ‌र्घ्यसमर्पित करें


आचमन-स्नानीयं जलंसमर्पयामि_स्नानान्ते आचमनीयंजलंचसमर्पयामि।स्नानीयऔर आचमनीय जल चढाएं


पय:स्नान-
ॐपय: _पय: स्नानंसमर्पयामि।पय: स्नानान्तेआचमनीयं

दूध से स्नान कराएं, पुन:शुद्ध जल से स्नान कराएं और आचमन के लिए जल चढाएं


दधिस्नान-दधिस्नानं समर्पयामि,से स्नान कराने के बाद शुद्ध जल से स्नान कराएं तथा आचमन के लिए जल समर्पित करें


घृत स्नान-
घृतस्नानं समर्पयामि,घृत से स्नान कराकर पुन:आचमन के लिए जल चढाएं


मधु स्नान-
मधुस्नानंसमर्पयामि, मधु से स्नान कराकर आचमन के लिए जल समर्पित करें


शर्करा स्नान-
शर्करास्नानं समर्पयामि, शर्करा से स्नान कराकर आचमन के लिए जल चढाएं


पञ्चमृतस्नान
पञ्चमृतस्नानं समर्पयामि, शुद्धोदकस्नानंसमर्पयामि, पञ्चमृत से स्नान कराकर शुद्ध जल से स्नान कराएं तथा आचमन के लिए जल चढाएं


गन्धोदकस्नान-
गन्धोदकस्नानंसमर्पयामि, गन्धोदकसे स्नान कराकर आचमन के लिए जल चढाएं


शुद्धोदकस्नान-
शुद्धोदकस्नानंसमर्पयामि-शुद्ध जल से स्नान कराएं तथा आचमन के लिए जल समर्पित करें
वस्त्र-

उपवस्त्र-
उपवस्त्रंसमर्पयामि, उपवस्त्रचढाएं तथा आचमन के लिए जल समर्पित करें


यज्ञोपवीत-
यज्ञोपवीतं समर्पयामि।यज्ञोपवीत समर्पित करें


गंध-अर्पण
गन्धानुलेपनंसमर्पयामि-चंदनउपलेपित करें


सुगंधित द्रव्य-
सुगंधित द्रव्यंसमर्पयामि।सुगंधित द्रव्य चढाएं


अक्षत-
अक्षतान्समर्पयामि_अक्षत चढाएं


पुष्पमाला-

पुष्पमालां समर्पयामि पुष्पमाला चढाएं


नाना परिमलद्रव्य-

नानापरिमल द्रव्याणिसमर्पयामि
विविध परिमल द्रव्य चढाएं


केसर -
केसर समर्पयामि-केसर चढाएं

धूप-

धूपंमाघ्रापयाम -धूप अर्पित करें


दीप-दीपं दर्शयामि
दीप दिखलाएं और हाथ धो लें


नैवेद्य-

नैवेद्यं निवेदायामि-नैवेद्यान्तेध्यानम्
नैवेद्य निवेदित करे, तदनंतर भगवान का ध्यान करके आचमन के लिए जल चढाएं


ऋतुफल-

ऋतुफलानिसमर्पयामि
ऋतुफलसमर्पित करें


ताम्बूल-
ताम्बूलपत्रंसमर्पयामि।पान और सुपारी चढाएं


दक्षिणा-
दक्षिणां समर्पयामि_द्रव्य दक्षिणा समर्पित करें

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यानि  कानी  च  पापानि  जन्मान्तर  कृतानि  च  तानी  सर्वानी  नश्यन्तु  प्रेदेक्षिने  पदे  पदे
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हे मेरे गुरु देव करुना सिन्धु करुना कीजिये
हु अधम अधीन अशरण शरण में लीजिये 

खा रहा गोते हु में भवसिंधु के मजधार में

आसरा हे दूसरा कोई न अब संसार में 

मुज में हे जपतप न साधन और नही कुछ ज्ञान हे

निर्लज्जता हे एक बाकि और बस अभिमान हे

पाप बोजे से लधी नैय्या भावर में आ रही 

नाथ दोडो अब बचाओ जल्द डूबी जा रही

आप भी अब छोर देगे फिर कहा जऊँगा में

जन्म दुःख से नाव केसे पर कर पाउँगा में

सब जगह राहे भटक कर ली शरण अब आप की

पार करना या न करना दोनों मर्जी आप की 

हे मेरे गुरु देव करुना सिन्धु करुना कीजिये 
हु अधम अधीन अशरण शरण में लीजिय

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RUDRAKSHA
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प्रार्थना        
वेद वाणी के स्वामी देव गुरु हमारे कल्याण का विस्तार करे

मन की व्याकुलता व् नेत्र की शीर्णता को दूर करे

देव गुरु हमारी बुद्धि को सत्कर्म हेतु प्रेरित करे

धर्म यज्ञ से आयु के दाता, आयु की वृद्धि करे व् प्राणों को बलिष्ट करे

यज्ञो का फल देने वाले देव गुरु धर्म ध्वजा प्रदान कर यश कीर्ति से सम्मानित करे

प्रथ्वी पर अग्नि व् आकाश में जल का साधन करने वाले देव गुरु हम पर दया करे

कृषि विज्ञानं व् धर्म ज्ञान के रचियता हम पर अपनी अनुकम्पा बनाये

वंश वृद्धि के अधिष्टित देव अपने करुना दृष्टि सदेव हम पर बनाये

सोभाग्य के दाता व् आयु के महादानी सदेव सब पर अपनी कृपा दृष्टि बनाये

अन्न सत्य प्रियवाणी घी दूध धान्य व् सिद्धि के कारन देव सभी पर अपनी कृपा बनाये

धन की प्रचुरता, शरीर की पुष्टि, आत्मिक बल, एश्वर्य व् भोग के प्रदाता अपनी कृपा बनाये

परलोक पीड़ा निवारण गति के अधिष्ठित देव, गुरुदेव सदा ही अपनी कृपा बनाये